संतों के शब्द

संत तुकाराम हमेशा प्रभु भक्ति में लीन होकर अपने अभंग गाते थे| वे इतने मस्त होकर भगवान के भजन गाते थे कि उन्हे अपने आस-पास का भी कोई होश नही रहता था| कभी-कभी तो वे इतने खो जाते थे कि सुबह हो जाया करती थी|

एक बार देहु में एक खूबसूरत महिला संत तुकाराम की ओर आकर्षित हो गयी| जब संत तुकाराम अभंग गा रहे थे तो उनके सामने वह रुक्मणी के रूप में आकर बैठ गयी| जब अभंग समाप्त हो गया, तब संत तुकाराम ने उस महिला को देखा और नमस्कार किया तथा पूछा कि वह विट्ठल के बिना ही आ गयी? यह सुनकर महिला को बहुत शर्मिंदगी महसूस हुई और उसको अपनी ग़लती का एहसास हुआ। 

एक शब्द "रुक्मणी" ने उस महिला का जीवन बदल दिया और वो एक धार्मिक महिला बन गई।

संतो के वचन यूँ ही पलभर में जीवन बदल देते है, ज़रूरत है हमें समझने की और साथ में अमल करने की!

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